

पेसा के बारे में
पंचायती राज मंत्रालय का अधिदेश
पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) का अधिदेश संविधान, के नौवें भाग, भाग IX क के अनुच्छेद 243 यघ के अनुसार जिला योजना समिति के संबंध में प्रावधान और पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए है।
देश में पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में संवैधानिक प्रावधान
24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी, संविधान (तिहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, 1992, जो भारत के संविधान के नौंवे भाग में सन्निविष्ट किया गया है, पंचायतों को ग्रामीण भारत के लिए स्थानीय स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में एक संवैधानिक दर्जा देता है।
संविधान का अनुच्छेद 243ड (1), अनुच्छेद 244 के खंड (1) और (2) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में संविधान के नौवें भाग के प्रावधानों को लागू करने से छूट देता है। हालांकि, अनुच्छेद 243 ड (4) (ख) संसद को कानून बनाने और नौवें भाग के प्रावधानों को अनुच्छेद (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में विस्तारित करने की शक्ति प्रदान करता है, बशर्ते कि ऐसे अपवादों और संशोधनों को ऐसे कानूनों में निर्दिष्ट किया गया हो और इस तरह का कोई भी कानून अनुच्छेद 368 के प्रयोजन के लिए संविधान का संशोधन नहीं माना जाएगा।
पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र
संविधान की पांचवीं अनुसूची किसी भी राज्य- असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य राज्य में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के रूप में भी प्रशासन और अनुसूचित क्षेत्रों के नियंत्रण के साथ संबंधित है। संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों तथा असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के अलावा अन्य किसी भी राज्य में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है। "पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996" (पेसा), कुछ संशोधनों और अपवादों को छोड़कर संविधान के नौवें भाग को, संविधान के अनुच्छेद 244(1) के अंतर्गत अधिसूचित पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के लिए विस्तारित करता है। वर्तमान में, 10 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना में पांचवीं अनुसूची क्षेत्र मौजूद हैं।
गांव और ग्राम सभा की परिभाषा
पेसा अधिनियम के अंतर्गत, {अनुच्छेद 4 (ख)}, आमतौर पर एक बस्ती या बस्तियों के समूह या एक पुरवा या पुरवों के समूह को मिलाकर एक गांव का गठन होता है, जिसमें एक समुदाय के लोग रहते हैं और अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अपने मामलों के प्रबंधन करते हैं।
पेसा अधिनियम, {अनुच्छेद 4 (ग)} के अंतर्गत उन सभी व्यक्तियों को लेकर हर गांव में एक ग्राम सभा होगी, जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिए मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं।
पेसा ग्राम सभा को निम्न के लिए विशेष रूप से शक्ति प्रदान करती है
- (क) लोगों की परंपराओं और रिवाजों, और उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना, (ख) समुदाय के संसाधन, और (ग) विवाद समाधान के परंपरागत तरीके की रक्षा और संरक्षा
(ii) निम्न कार्यकारी कार्यों को पूरा करना
- सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं को मंजूरी देना,
- गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों के रूप में व्यक्तियों की पहचान करना,
(ग) पंचायत द्वारा योजनाओं; कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए धन के उपयोग का एक प्रमाण पत्र जारी करना
पेसा उपयुक्त स्तर पर ग्राम सभा/पंचायतों को निम्न लिखित की शक्ति प्रदान करता है-
- भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार
- एक उचित स्तर पर पंचायत को लघु जल निकायों की योजना और प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है
- एक उचित स्तर की ग्राम सभा या पंचायत द्वारा खान और खनिजों के लिए संभावित लाइसेंस पट्टा, रियायतें देने के लिए अनिवार्य सिफारिशें करने का अधिकार
- मादक द्रव्यों की बिक्री / खपत को विनियमित करना
- लघु वनोपजों का स्वामित्व
- भूमि हस्तान्तरण को रोकना और हस्तांतरित भूमि की बहाली
- गांव बाजारों का प्रबंधन
- अनुसूचित जनजाति को दिए जाने वाले ऋण पर नियंत्रण
- सामाजिक क्षेत्र में कार्यकर्ताओ और संस्थानों, जनजातीय उप योजना और संसाधनों सहित स्थानीय योजनाओं पर नियंत्रण
पेसा का महत्व
पेसा का प्रभावी क्रियान्वयन न केवल विकास लाएगा बल्कि यह पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में लोकतंत्र भी और गहरा होगा। पेसा के कई फायदे हैं।
इससे निर्णय लेने में लोगों की भागीदारी में वृद्धि होगी। पेसा आदिवासी क्षेत्रों में अलगाव की भावना को कम करेगा और सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग पर बेहतर नियंत्रण होगा। पेसा से जनजातीय आबादी में गरीबी और बाहर पलायन कम हो जाएगा क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण और प्रबंधन से उनकी आजीविका और आय में सुधार होगा।. पेसा जनजातीय आबादी के शोषण को कम करेगा, क्योंकि वे ऋण देने, शराब की बिक्री खपत एवं गांव बाजारों का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे। पेसा के प्रभावी कार्यान्वयन से भूमि के अवैध हस्तान्तरण पर रोक लगेगी और आदिवासियों की अवैध रूप से हस्तान्तरित जमीन को बहाल किया जा सकेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पेसा परंपराओं, रीति-रिवाजों और जनजातीय आबादी की सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देगा।
पंचायती राज मंत्रालय की पहल
पेसा के महत्व को स्वीकार करते हुए भारत सरकार राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में पेसा का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। कार्रवाई में शामिल कुछ बिंदु हैं-
i. 21.5.2010 को पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों वाले सभी राज्यों को पेसा के कार्यान्वयन पर समेकित दिशा निर्देश जारी किए गए थे
ii. राज्यों के दौरे, पत्राचार और बैठकों/कार्यशालाओं के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों में पेसा अधिनियम के कार्यान्वयन की लगातार समीक्षा करना
iii. राज्यों में पेसा के कार्यान्वयन की प्रगति और ऐसा करने में सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों की समीक्षा करने और आगे का मार्ग तय करने के लिए 4-5 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई थी।
iv. आरजीपीएसए के अंतर्गत, पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों वाले राज्यों को ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम सभा संघटक और राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर पेसा समन्वयक तैनात करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है
v. पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में "सामुदायिक लामबंदी" पर एक पुस्तिका का प्रकाशन
vi. पेसा से संबंधित विषयों पर विभिन्न शोध अध्ययन और कार्रवाई अनुसंधान प्रायोजित करना
vii राज्यों को पेसा के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने और राज्य पंचायती राज अधिनियम और विषय कानूनों में संशोधन कर उन्हें पेसा के अनुकूल बनाने के लिए सहमत करना ।
viii केन्द्र सरकार के मंत्रालयों / विभागों से केंद्रीय कानूनों में पेसा के प्रावधानों के अनुरूप संशोधन के लिए अनुरोध।